मैं मानव संतान हूं।
मैं सुखी होना चाहता / चाहती हूं।
मैं प्रसन्न रहना चाहता / चाहती हूं।
हर मानव सुखी होना एवं प्रसन्न रहना चाहता है।
मैं समझना चाहता हूं समझने पर मैं सुखी और प्रसन्न होता हूं।
मैं अपने शरीर को समझना चाहता / चाहती हूं।
मैं अपनी क्षमताओं को समझना चाहता / चाहती हूं ।
मैं अपने आसपास की वस्तुओ को समझना चाहता / चाहती हूं।
सभी मानव ऐसा ही चाहते हैं। समझ कर ही मानव समझदार मानव कहलाता है।
मैं समझदार बनना चाहता / चाहती हूं।
हर मानव समझदार हो ऐसा मैं चाहता / चाहती हूं।
हर मानव समझकर ही निरंतर सुख पूर्वक जी सकता है।
यही मानव की मूल चाहत है।
यही मानव लक्ष्य है।