व्यवसाय और व्यापार आर्थिक गतिविधियों के दो हिस्से हैं, लेकिन इनके उद्देश्य, कार्यप्रणाली और दायरे में कई स्पष्ट अंतर हैं। दोनों का योगदान अर्थव्यवस्था में विशेष है, लेकिन इनका स्वरूप भिन्न है।
1. व्यवसाय व व्यापार की परिभाषा
व्यवसाय:
व्यवसाय एक व्यापक गतिविधि है, जिसमें किसी उत्पाद या सेवा का उत्पादन, वितरण और विपणन शामिल है। इसका उद्देश्य मानव की आहार,आवास, अलंकार व दूर गमन, दूर श्रवण तथा दूर दर्शन आदि आवश्यकताओं को पूरा करना है l व्यवसाय मानव में समृद्धि भावना का अवसर प्रदान करता है ।
व्यापार:
व्यापार मुख्य रूप से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री से जुड़ा होता है। इसका उद्देश्य तैयार माल का लेन-देन करके मुनाफा कमाना मात्र होता है। यहाँ पर यह भी देखा जाता है ब्यापार करने बाला मानव कम देकर अधिक लेने की भावना से ग्रसित रहता हैI
2. व्यवसाय व व्यापार के उद्देश्य
व्यवसाय:
- उत्पादों और सेवाओं का निर्माण व उपभोक्ताओं तक पहुंचाना।
- मानव जाति की आवश्यकताओं को पूरा करना।
- आर्थिक और सामाजिक मूल्य सृजित करना।
व्यापार:
- तैयार वस्तुओं को खरीदना और बेचना।
- तुरंत लाभ अर्जित करना।
- कम देकर अधिक लेन पर केंद्रित रहना।
3. व्यवसाय व व्यापार के स्वरूप
व्यवसाय:
- विस्तृत गतिविधि।
- उत्पादन, वित्त, विपणन और मानव संसाधन जैसे कई घटक।
- व्यापक व सामाजिक स्तर पर संचालन।
व्यापार:
- सरल गतिविधि।
- केवल खरीद और बिक्री तक सीमित।
- सीमित भूमिका।
4. उद्यम के प्रकार
व्यवसाय:
- उद्योग: उत्पादन, निर्माण, और कारखाने से जुड़े कार्य।
- शिक्षा विनिमय-कोष, स्वास्थ-सयम सेवा क्षेत्र: बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा।
- व्यापार को व्यवसाय से अलग होकर अपना कोई अस्तित्व नहीं हैl
व्यापार:
- आंतरिक व्यापार: देश के भीतर वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान।
- बाहरी व्यापार: आयात और निर्यात।
निष्कर्ष व्यवसाय और व्यापार में सबसे बड़ा अंतर इनके दायरे और स्वरूप में है। व्यवसाय, व्यापक और बहुआयामी है, जो उत्पादन से लेकर विपणन तक के सभी पहलुओं को समेटता है। व्यापार मात्र वस्तुओं और सेवाओं के लेन-देन पर केंद्रित है। व्यवसाय का लक्ष्य मानव समृद्धि निर्माण है, जबकि व्यापार का उद्देश्य तात्कालिक मुनाफा अर्जित करना हैl
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